दिल्ली सरकार ने शिक्षा के क्षितिज को व्यापक करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है: अब सार्वजनिक विद्यालयों में भी अंग्रेज़ी माध्यम की कक्षा शुरू होगी। पहले जहां अभिभावक निजी स्कूलों के उच्च शैक्षणिक मानकों और अंग्रेज़ी भाषा की वजह से उलझे रहते थे, अब उन्हें सरकारी विद्यालयों में भी समान अवसर मिलेंगे।
यह पहल न केवल भाषा की चुनौतियों को कम करेगी, बल्कि सरकारी और निजी संस्थानों के बीच की दूरी मिटाने में भी सहायक होगी। पारंपरिक हिंदी माध्यम के साथ अंग्रेज़ी में पढ़ाई का विकल्प उपलब्ध होने से छात्र दोहरी भाषा क्षमता हासिल कर सकेंगे, जो आने वाले समय में करियर विकल्पों को और भी समृद्ध करेगा।
नए पाठ्यक्रम को लागू करने में बुनियादी अवसंरचना, शिक्षकों का प्रशिक्षण और पाठ्य सामग्री का विकास बड़ी चुनौतियां होंगी। इस बदलाव के सफल परिणाम के लिए शिक्षकों को आधुनिक शिक्षाशास्त्र की समझ के साथ भाषा के प्रशिक्षण की आवश्यकता पड़ेगी। साथ ही स्कूलों को तकनीकी संसाधन और लाइब्रेरी अपडेट करने पर भी ध्यान देना होगा।
नीति निर्माताओं का मानना है कि इस कदम से सामाजिक न्याय की भावना मजबूत होगी, और हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अधिकार मिलेगा। अगर यह योजना सही समय पर और पूरी तैयारी के साथ लागू हुई, तो आने वाले दशक में दिल्ली मॉडल को देशभर में अपनाया भी जा सकता है।
निष्कर्षतः, दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अंग्रेज़ी माध्यम शुरू होने का फैसला शिक्षा के क्षेत्र में एक सकारात्मक मोड़ साबित हो सकता है। यह परिवर्तन केवल भाषा के स्तर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सामाजिक और आर्थिक अवसरों को भी सशक्त बनाएगा। अब जरूरत है कि सभी हितधारक मिलकर इस पहल को आधारशिला से शिखर तक पहुंचाएं।

