अमेरिका में काम करने का सपना देखने वाले भारतीय पेशेवरों और छात्रों के लिए हर साल H-1B वीजा की लॉटरी की खबर किसी त्योहार से कम नहीं होती। लेकिन इस बार भी कुछ ही दिनों में निर्धारित कोटा भर गया और नए आवेदकों के लिए यह दरवाजा फिलहाल बंद हो गया। यह वास्तविकता उन सभी के लिए एक चुनौती बनकर उभरी जो इस सिस्टम पर अपनी अगली पेशेवर छलांग टिका रहे थे।
H-1B वीजा के नहीं मिलने से कई छात्र और कर्मी अनिश्चितता की स्थिति में आ गए हैं। खासकर वो लोग जो अपनी फील्ड में इंटर्नशिप या फुल-टाइम जॉब पर भरोसा करके अमेरिका आने की तैयारी कर रहे थे। अब उन्हें न सिर्फ वीजा की प्रतीक्षा करनी है, बल्कि अन्य विकल्पों की खोज भी करनी होगी ताकि करियर का ग्राफ धीरे-धीरे बढ़ता रहे।
एक व्यावहारिक रास्ता है कि आप अपने पास मौजूद छात्र वर्क परमिट (OPT/CPT) का अधिकतम लाभ उठाएं। इसके अलावा L-1 ट्रांसफर, O-1 एक्सपर्ट वीजा, या TN वीजा (NAFTA अकॉर्ड के तहत) जैसे विकल्पों पर भी रिसर्च कर सकते हैं। वहीं, कंपनी ट्रांसफर के जरिए किसी ऐसी यूनिट में जाने का भी मौका तलाशें जिसकी सब्सिडियरी विदेश में हो—कहने का मतलब यह है कि आप पहले किसी दूसरे देश में काम शुरू कर सकते हैं और बाद में अमेरिका ट्रांसफर करवा सकते हैं।
इसके अलावा ग्लोबल जॉब मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कनाडा, ऑस्ट्रेलिया या यूरोपीय देशों के स्किल्ड वर्कर प्रोग्राम्स पर भी नज़र रखें। कुछ यूरोपीय यूनियनों में आसान पर्मिट प्रोसेस और बेहतर वर्क-लाइफ बैलेंस मिलता है। साथ ही, रिमोट वर्क के जरिए तो आप दुनिया के किसी भी कोने से अमेरिकी या अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए योगदान दे सकते हैं—इससे आपको न सिर्फ अनुभव बढ़ेगा बल्कि भविष्य में H-1B या ग्रीन कार्ड के आवेदन में भी पॉजिटिव इम्पैक्ट पड़ेगा।
निष्कर्ष में, H-1B कोटा बंद होने की खबर एक झटका जरूर है, लेकिन यह आपके करियर को कहीं का कहीं सीमित नहीं कर सकता। वैकल्पिक वीजा मार्ग, अंतर्राष्ट्रीय अवसर और स्किल उन्नयन के साथ अपनी तैयारी जारी रखें। अगली बार जब मौका मिलेगा, तब आपकी पुख्ता तैयारी और अनुभव सुनिश्चित करेंगे कि आप सलेक्शन की रेस में आगे रहें।

