अमेरिका में पढ़ने या नौकरी की तलाश करना कई युवाओं का सपना बन गया है, लेकिन इसकी शुरुआत होती है वीज़ा के लिए आर्थिक तैयारी से। यूनाइटेड स्टेट्स सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि आने वाला स्टूडेंट या वर्कर स्थानीय संसाधनों पर बोझ न बन जाए। इसलिए वीज़ा प्रोसेस में बैंक बैलेंस, फंडिंग सोर्स और खर्चों का व्यवस्थित हिसाब-रकम दिखाना जरूरी होता है।
स्टूडेंट वीज़ा (F-1) के लिए सबसे पहले आपको ट्यूशन फीस और रहने-फिने की संभावित रकम को ध्यान से जोड़ना होगा। औसतन एक अकादमिक इयर की फीस 20,000 से 40,000 अमेरिकी डॉलर के बीच हो सकती है, जबकि रहने का खर्च (रूम–बोर्ड, किताबें, इंश्योरेंस) 12,000 से 18,000 डॉलर तक हो सकता है। अलग-अलग स्टेट और यूनिवर्सिटी के हिसाब से यह आंकड़ा बदलता है, इसलिए एडमिशन ले जाने से पहले स्थान और कोर्स से जुड़ी अनुमानित लागत जरूर चेक करें।
वर्क वीज़ा (जैसे H-1B या OPT) के लिए आवेदन करने पर आपको प्रोसेसिंग फीस, रिलोकेशन खर्च और शुरुआती महीनों के लिए बफ़र फंड दिखाना होता है। अक्सर कंपनी वीज़ा स्पॉन्सरशिप में आर्थिक मदद करती है, लेकिन कुछ मामलो में उम्मीदवार को भी वर्क परमिट मिलने तक अपनी सेल्फ-स्पॉन्सर बनकर दिखना पड़ता है। मेरी सलाह है कि कम से कम तीन से छह महीने का अतिरिक्त खर्च बचाकर रखें, ताकि अवांछित विलंब या आकस्मिक खर्च न आएं।
जहां तक फंडिंग के विकल्पों की बात है, व्यक्तिगत बचत सबसे भरोसेमंद होती है। इसके अलावा एजुकेशनल लोन, यूनिवर्सिटी स्कॉलरशिप, असिस्टेंटशिप और पारिवारिक सहायता मायने रखती है। अगर आप पार्ट-टाइम काम के जरिए खर्चे कम करना चाहते हैं, तो कैंपस जॉब्स और इंटर्नशिप भी देख सकते हैं। मेरी नजर में, हर सोर्स का बैलेंस बनाकर रखना चाहिए और बैंक स्टेटमेंट, स्पॉन्सर लेटर जैसे डॉक्यूमेंट समय रहते तैयार कर लेना चाहिए।
निष्कर्षतः, अमेरिका में पढ़ाई या नौकरी के सफर की कुंजी है रणनीतिक वित्तीय योजना और पारदर्शिता। जितनी अच्छी तैयारी होगी, वीज़ा इंटरव्यू आसान होगा और वहां पहुंचकर आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। इसलिए हर खर्च का हिसाब- किताब रखें, भरोसेमंद सोर्सेज चुनें और आपातकालीन फंड हमेशा हाथ में रखें। एक पक्की योजना आपको नए अवसरों की राह में आत्मनिर्भर और सशक्त बनाएगी।

