लोकसभा में हाल ही में पारित हुए संशोधन विधेयक ने असम राजधानी गुवाहाटी को मिलने वाले उच्चतम शिक्षण संस्थान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि इस योजना के तहत 550 करोड़ रुपये का बजट आरक्षित किया गया है। यह निवेश क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर उच्च प्रबंधन शिक्षा को सुदृढ़ करने की इच्छा का प्रतीक है।
न्यू आईआईएम का गुवाहाटी में निर्माण न केवल पूर्वोत्तर के युवाओं के लिए अवसरों का द्वार खोलेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति देगा। उम्मीद है कि नए परिसर में अत्याधुनिक सुविधाएं, पठन-पाठन के लिए समर्पित प्रोफेसर और अत्याधुनिक शोध सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। इससे क्षेत्र में कौशल संचयन और नवाचार दोनों को बढ़ावा मिलेगा।
शिक्षा मंत्रालय की यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दृष्टिकोण से भी मेल खाती है, जिसमें सर्वग्राही विकास और सभी हिस्सों में उच्च शिक्षा के विस्तार पर जोर दिया गया है। पूर्वोत्तर के पिछड़े इलाकों में इकाइयों को तैयार करना लंबे समय से सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल रहा है, और अब यह सपना हकीकत में बदलने की कगार पर है।
हालांकि बड़ी परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए समयबद्ध योजना, सुचारू अवसंरचना विकास और स्थानीय प्रशासन के सहयोग की आवश्यकता होगी। अलग-अलग भौगोलिक और मौसम संबंधी चुनौतियाँ निकाल कर सामने आएंगी, जिन्हें हल करना संस्थान के लिए अहम होगा। इसके साथ ही, दर्जे के अनुसार प्रतियोगी प्रवेश प्रक्रिया और फैकल्टी भर्ती भी संस्थान की गुणवत्ता तय करेगी।
संक्षेप में, 550 करोड़ रुपये के प्रावधान से गुवाहाटी में स्थापित होने वाला नया IIM पूर्वोत्तर की शैक्षणिक परिदृश्य में परिवर्तन लेकर आएगा। इसमें दीर्घकालिक रूप से न केवल छात्रों के कैरियर बल्कि स्थानीय उद्योग और अनुसंधान पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। आने वाले वर्षों में इसके फलदायी परिणाम देखने को मिलेंगे और यह परियोजना क्षेत्रीय विकास का प्रेरक मॉडल बनेगी।

