सीबीएसई द्वारा जारी 12वीं इकोनॉमिक्स का नया सैंपल पेपर विद्यार्थियों के लिए परीक्षा की रूपरेखा तैयार करने का बेहतरीन साधन है। यह न केवल परीक्षा की संरचना और प्रश्नों के प्रकार को दर्शाता है, बल्कि प्रति खंड विषयों के महत्व को भी रेखांकित करता है। इसकी सहायता से छात्र समय प्रबंधन और उत्तर लेखन की रणनीति को पहले से ही ज्यादा प्रभावी बना सकते हैं।
सैंपल पेपर में मैक्रोइकोनॉमिक्स के सिद्धांतों जैसे फिस्कल डेफिसिट और रियल जीडीपी व नॉमिनल जीडीपी के सवाल प्रमुखता से शामिल हैं। मेरी राय में, इन विषयों को समझना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ये आर्थिक सामरिक आराखड़ा तय करते हैं। पेपर में पूछे गए उदाहरण और ग्राफ विश्लेषण छात्रों को गहराई से सोचने के मौके देते हैं।
भारतीय आर्थिक विकास के अध्याय में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की नीतियों और ग्लोबलाइजेशन के प्रभाव पर केंद्रित प्रश्न दिखाई देते हैं। इसने छात्रों को यह समझने की प्रेरणा दी कि वैश्विक रुझान हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को कैसे आकार देते हैं। मेरा विश्लेषण यह है कि ऐसे सवाल विद्यार्थियों को व्यापक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करते हैं।
पेपर पैटर्न और मार्किंग स्कीम की बात करें तो नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के अनुरूप परिवर्तन दिखाई देते हैं। अघिकांश प्रश्नों में अनुपातिक अंक वितरण और केस स्टडी आधारित प्रश्न शामिल हैं, जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है। रणनीति यही है कि विद्यार्थी प्रत्येक सेक्शन पर वेटेज के हिसाब से तैयारी करें और नियमित समयबद्ध अभ्यास करें।
निष्कर्ष में कह सकते हैं कि यह सैंपल पेपर सिर्फ प्रश्नों का सेट नहीं, बल्कि आत्म-मूल्यांकन का उपकरण है। समय प्रबंधन, गहन अवधारणा और विश्लेषण क्षमता के विकास के लिए इसे अनिवार्य रूप से हल करें। अपने कमज़ोर पहलुओं को पहचानकर उनमें सुधार करें और परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करने की दिशा में एक ठोस कदम उठाएँ।

