अजमेर के कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित इस बैठक ने आपदा प्रबंधन की तैयारियों को नई दिशा दी। जिला कलक्टर श्री लोक बन्धु के मार्गदर्शन में विभिन्न उपखंड स्तरीय समितियों द्वारा जांचे गए जर्जर भवनों के मुद्दे पर गहन विमर्श हुआ। यह पहल शहर की संरचनात्मक सुरक्षा को लेकर एक अहम कदम माना जा रहा है।
पुरानी इमारतों की स्थिति समय के साथ चुनौतीपूर्ण होती जा रही है। इन संरचनाओं का नियमित निरीक्षण न होने पर संभावित आपदाओं का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए प्रस्तावित समीक्षा रिपोर्ट ने मुआयने, स्तरबद्ध प्राथमिकताओं और उचित समाधान के रास्ते सुझाए हैं।
स्थानीय प्रशासन ने इस बार सिर्फ निरीक्षण तक सीमित न रहते हुए तत्काल सुधार और लंबी अवधि की योजना पर जोर दिया। तकनीकी विशेषज्ञों, नगर निगम और नागरिक प्रतिनिधियों के सहयोग से साझा दृष्टिकोण से कार्ययोजना तैयार करने का निर्णय लिया गया। इससे समन्वय और जवाबदेही दोनों मजबूत होंगे।
बैठक में संरचनात्मक सुधार के लिए वित्तीय सहायता, त्वरित मरम्मत कार्य, और समुदाय में जागरूकता बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया। प्रशिक्षित टीमों द्वारा भवनों का स्कोर कार्ड तैयार करने और संभावित आपदा प्रबंधन अभ्यास कराने की भी रूपरेखा बनी है। इससे सुरक्षा के साथ-साथ भविष्य की चुनौतियों से निपटने की तैयारी भी पुख्ता होगी।
यह बैठक हमें याद दिलाती है कि आपदा प्रबंधन में समय की पाबंदी, तकनीकी सुदृढ़ता और सामुदायिक सहभागिता तीनों की बराबर भूमिका होती है। अजमेर की विशेष पहचान और लोगों की सुरक्षा तभी सुनिश्चित होगी जब हम निरंतर निगरानी, मरम्मत और जागरूकता को अपनी प्राथमिकता बनाकर आगे बढ़ें।

