शिक्षक दिवस 2025 की तैयारी में देशभर के शिक्षण जगत में उत्साह की लहर दौड़ रही है। इस बार शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग ने कुल 45 शिक्षकों का चयन किया है, जिन्हें राष्ट्रपति के हाथों से अलग-अलग राज्यों से उत्कृष्टता और समर्पण के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। यह कदम न सिर्फ उनकी सराहना है, बल्कि पूरे शैक्षिक समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा।
चयन प्रक्रिया में न केवल शैक्षणिक परिणामों को मुख्य रखा गया, बल्कि नवाचार, सामाजिक संलग्नता और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में योगदान को भी अहमियत दी गई। इस तरह की कसौटी से पता चलता है कि आज के शिक्षक केवल पाठ्यक्रम पर निर्भर नहीं, बल्कि भविष्य के नागरिकों के भावी विकास में भी केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं।
राज्यवार चयन में विविधता देखने को मिलती है: दक्षिण के तमिलनाडु से लेकर पूर्वोत्तर के असम तक, पश्चिमी महाराष्ट्र से लेकर पूर्वी बिहार तक। जहां एक ओर गोधरा (गुजरात) के विद्यालय में विज्ञान विषय में अपनी अनूठी शिक्षण शैली के लिए सम्मानित शिक्षक हैं, वहीं दूसरी ओर कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में कला एवं संस्कृतिमूलक गतिविधियों में योगदान देने वाले शिक्षक को चुना गया है। यह बताता है कि शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं, बल्कि अनेक आयामों में फैलती है।
मेरे नजरिए से इस सम्मान का सबसे बड़ा अर्थ है – समर्पित शिक्षक समुदाय की अनदेखी योग्य उपलब्धियों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलना। जब एक शिक्षक को उसके छोटे-से गांव में ही सही, लेकिन संपूर्ण देश के सामने सराहा जाता है, तो नये शिक्षक प्रेरित होते हैं, मौजूदा शिक्षक उत्साहित होते हैं और शिक्षा की गुणवत्ता में समग्र सुधार की नींव मजबूत होती है।
शिक्षक दिवस 2025 का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि शिक्षक केवल ज्ञान के वाहक नहीं, बल्कि समाज के आदर्श निर्माणकर्ता भी हैं। उनकी प्रेरणा से ही युवा पंख लगाते हैं और अपने-अपने क्षेत्र में नया मुकाम हासिल करते हैं। ऐसे में राष्ट्रपति के समर्पण पुरस्कार न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि, बल्कि पूरे शिक्षण समुदाय के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम है।

