तीव्र मानसूनी बारिश और जलभराव की स्थिति को देखते हुए कई राज्यों ने 3 सितम्बर, 2025 को विद्यालय बंद रखने का फैसला लिया है। यह कदम मुख्य रूप से बच्चों की सुरक्षा और उनके सुचारू आवागमन को ध्यान में रखकर उठाया गया है। जहां मिट्टी की कमजोर सतह और बढ़ते जलस्तर ने कई जगह मार्ग जाम कर दिए हैं, वहीं प्रशासन ने अप्रत्याशित आपदाओं से बचाव के लिए यह अतिरिक्त सावधानी बरती है।
बताया जा रहा है कि बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, उत्तराखंड जैसे राज्यों में स्कूलों की छुट्टी की घोषणा की गई है। इन क्षेत्रों में नदियों का जलस्तर बढ़ने के साथ ही सड़कों पर जलभराव और फिसलन की समस्या गहराई है। राज्य सरकारों ने स्थानीय आपदा प्रबंधन दलों को सतर्क किया है और प्रभावित जिलों में राहत शिविर स्थापित करने की तैयारियाँ चल रही हैं।
छुट्टी का असर निश्चित रूप से छात्रों और अभिभावकों की दिनचर्या पर पड़ेगा, लेकिन इसके पीछे उद्देश्य शिक्षा से हटकर उन्हें एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करना है। विशेषज्ञों की सलाह है कि आपात स्थिति में डिजिटल क्लासेस और ऑनलाइन शिक्षण संसाधनों का सहारा लिया जाए। इससे पढ़ाई में गिरावट आने से रोका जा सकता है और समय का सदुपयोग भी सुनिश्चित रहेगा।
सरकार की ओर से यह भी संकेत मिल रहे हैं कि बारिश थमते ही विद्यालयों में दीर्घकालिक संरचनात्मक सुधार कार्य शुरू होंगे। जल निकासी व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने, सड़कों की मरम्मत और विद्यालय परिसरों में जलप्रवेश रोकने के उपायों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। भविष्य में इस प्रकार की स्थितियों से निपटने के लिए शिक्षा विभाग आपातकालीन पाठ्यक्रम और संसाधन सूची भी तैयार कर रहा है।
अंततः, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान प्राथमिकता हमेशा मानवीय जीवन और सुरक्षा की होती है। स्कूल बंदी का यह निर्णय जहां बच्चों को ताजे वातावरण और जोखिममुक्त परिवेश की गारंटी देता है, वहीं हमें भी परिस्थिति के अनुरूप लचीला रहना सीखना होगा। उम्मीद है कि जल्द ही मौसम सुधरने पर सभी छात्र सुरक्षित रूप से शिक्षण गतिविधियों में पुनः जुट सकेंगे।

