पिछले कुछ महीनों में कनाडा ने स्टूडेंट और वर्क वीजा की मंजूरी प्रक्रिया में कड़ी शर्तें लागू की हैं। पारदर्शिता की कमी, लंबा रिव्यू समय और तकनीकी सिस्टम में गड़बड़ियों ने आवेदन प्रक्रिया को अव्यवस्थित कर दिया है। इससे हजारों भारतीय छात्रों और वर्कर्स के आने का सपना फिलहाल अधर में लटक गया है। पहले जहाँ कनाडा ग्लोबल टैलेंट को अपने साथ जोड़ने में अग्रणी था, अब वह इसी मांग को कंट्रोल करने की कोशिश करता दिख रहा है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो स्टूडेंट वीजा अप्रूवल रेट में 20-25% की गिरावट दर्ज हुई है, जबकि वर्क स्टूडेंट वीजा की मंजूरी में एक और भी तेज कमी आई है। बैकलॉग बढ़ने का मुख्य कारण दस्तावेजी गलतियाँ, गलत श्रेणी में आवेदन और बढ़ते सिक्योरिटी चेक माने जा रहे हैं। इसके अलावा आवेदकों से अतिरिक्त आर्थिक प्रमाण और स्थानीय इंटीग्रेशन प्लान पर सवाल पूछकर भी प्रक्रिया को लंबा किया जा रहा है।
सरकारी स्तर पर यह कदम घरेलू लेबर मार्केट की सुरक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर पर हो रहे दबाव से जुड़ा बताया जाता है। आवास और स्वास्थ्य सुविधाओं पर भारी मांग ने नीति निर्माताओं को पहली प्राथमिकता स्थानीय निवासियों को देने पर मजबूर किया है। इसी नीति के तहत नए पॉइंट सिस्टम, रोजगार प्रमाणपत्र और अध्ययन संस्थानों की क्वालिटी चेक लिस्ट को और कड़ा किया गया है।
भारतीय छात्रों और वर्कर्स के लिए यह समय पुनर्विचार का है। आवेदन से पहले सही क्लासिफिकेशन, वित्तीय बैकअप और एडमिशन लेटर की प्रमाणिकता सुनिश्चित करें। वीजा काउंसलर से सलाह लेकर अपनी स्ट्रैटेजी तैयार करें और अल्टरनेट प्लान B भी रखें। कनाडा के अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड या यूरोपीय देश विकल्प हो सकते हैं, जहाँ छात्र-वर्क का वातावरण फिलहाल अधिक स्थिर दिखता है।
निष्कर्षतः कनाडा वीजा के नए नियम चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन पूरी तरह निराश होना जल्दबाजी होगी। बदलते ग्लोबल परिदृश्य में हर देश अपनी प्राथमिकताएँ तय कर रहा है। इस दौर से उबरने का रास्ता सूझबूझ, योजना और वैकल्पिक मार्ग पर काम करने में निहित है। यदि आप तैयारी ठीक से करेंगे, तो भविष्य में भी कनाडा का दरवाजा आपके लिए खुला रहेगा।

