हाल ही में H-1B वीजा आवेदन शुल्क लगभग 1,00,000 डॉलर तक पहुंचने से भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए अमेरिका में नौकरियाँ महँगी और मुश्किल होती जा रही हैं। इस बदलाव ने कई इंजीनियर्स और डेवलपर्स को अपने अमेरिकी सपने पर पुनर्विचार करने पर मजबूर किया है। ऐसे में कनाडा ने तेज़ी से उभरते टेक सेक्टर और आसान उपलब्ध परमानेंट रेजिडेंसी विकल्पों के साथ भारतीय वर्कर्स के लिए आकर्षक अवसर प्रस्तुत किए हैं।
पहला मार्ग है Express Entry सिस्टम, जो स्किल्ड वर्कर्स के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें CRS स्कोर के आधार पर उम्मीदवारों को आमंत्रण पत्र मिलता है। यदि आपकी शैक्षणिक योग्यता, कार्यानुभव और भाषा दक्षता अच्छी हो, तो आप तेजी से ईआई राउंड में सेलेक्ट हो सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि एक बार कार्यक्रम में आ जाने पर PR का रास्ता काफी सुगम हो जाता है।
दूसरा विकल्प Provincial Nominee Program (PNP) है। यहाँ विभिन्न प्रांत आपकी प्रोफ़ाइल के अनुसार अलग-अलग श्रेणियों में नामांकन करते हैं। उदाहरण के तौर पर ओंटारियो, ब्रिटिश कोलंबिया या अलबर्टा की टेक-स्ट्रीम में आवेदन किया जा सकता है। प्रांतीय नामकरण मिलने पर आपको फेडरल PR के लिए आसान पहुँच मिलती है और जल्द निर्णय की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।
तीसरा रास्ता Global Talent Stream (GTS) है, जो खासकर टेक स्टार्टअप्स और इनोवेटिव कंपनियों को फास्ट-ट्रैक वर्क परमिट सुविधा देता है। चौथा विकल्प Atlantic Immigration Pilot Program (AIPP) है, जो अटलांटिक प्रांतों—न्यूब्रंसविक, नोवा स्कोटिया, प्रिंस एडवर्ड आइलैंड और न्यू फ़ाउंडलैंड—में जॉब ऑफर पर आधारित स्थायी निवासी बनने का त्वरित मार्ग प्रदान करता है। दोनों योजनाओं में न्यूनतम प्रोसेसिंग टाइम और आकर्षक सैलरी पैकेज मिलते हैं।
निवेश, स्किल और धैर्य के साथ कनाडा में कदम रखते ही आपको न सिर्फ प्रतिस्पर्धी वेतन मिलेगा, बल्कि एक समावेशी समाज में स्थायी आधार पर बसने का अवसर भी मिलेगा। मेरा विश्लेषण है कि अगर आप H-1B फीस वृद्धि से चिंतित हैं, तो कनाडा का यह कदम आपके करियर और व्यक्तिगत जीवन—दोनों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।

