अमेरिका में H-1B वीजा के लिए नई फीस बढ़ोतरी की घोषणा ने मेडिकल छात्रों और अनुभवशील डॉक्टरों के बीच चिंता की लकीर खींच दी है। विशेष रूप से भारत के उन MBBS ग्रेजुएट्स के लिए यह बदलाव भारी पड़ सकता था, जो अपनी करियर की स्टेज पर अमेरिका में अनुभव हासिल करना चाहते हैं।
लेकिन हाल की अटकलों ने नया मोड़ ले लिया है—डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए इन अतिरिक्त शुल्कों पर पुनर्विचार का संकेत दिया है। यदि डॉक्टरों को H-1B फीस में छूट मिलती है, तो यह अमेरिकी स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिरता और गुणवत्ता दोनों के लिए लाभदायक हो सकता है।
भारतीय डॉक्टर्स आमतौर पर USMLE परीक्षा की तैयारी, रेजिडेंसी मैच प्रक्रिया और लीगल कॉम्प्लायंस के बाद H-1B वीजा के जरिए अमेरिका में प्रैक्टिस शुरू करते हैं। फीस में कटौती का मतलब है कि शुरुआती खर्चों में कमी आएगी, जिससे युवा विशेषज्ञों के लिए इस यात्रा को आसान बनना संभव होगा।
अपने विश्लेषण में यह स्पष्ट होता है कि यूएस में डॉक्टरों की कमी को पूरा करना आसान नहीं, लेकिन फीस में छूट से रोड़ब्लॉक्स कम हो सकते हैं। साथ ही, इस कदम से अमेरिकी अस्पतालों में प्रतिभा का फ्लो तेजी से बढ़ सकता है और इससे पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती मिलेगी।
निष्कर्षतः, अगर H-1B वीजा फीस में डॉक्टरों को छूट मिलती है तो यह न सिर्फ भारतीय मेडिकल छात्रों के सपनों को बल देगा, बल्कि अमेरिकी स्वास्थ्य प्रणाली के लिए भी वरदान साबित होगा। इस प्रक्रिया की प्रगति पर ध्यान रखने और समय रहते तैयारी करने की सलाह दी जाती है।

