पिछले दशक में भारतीय छात्र परंपरागत रूप से अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशों को उच्च शिक्षा के लिए प्राथमिक विकल्प मानते आए हैं। लेकिन हाल ही में मिडिल ईस्ट, खासकर यूएई, कतर और सऊदी अरब, तेजी से आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। यहां के आधुनिक विश्वविद्यालय और शोध केन्द्र नवीन पाठ्यक्रम व अनोखे अवसर पेश कर रहे हैं, जो कई विद्यार्थियों को पारंपरिक पश्चिमी मार्ग की बजाय मध्य पूर्व की ओर मोड़ रहे हैं।
सबसे बड़ा कारण है लागत की प्रभावशीलता। अमेरिका या ब्रिटेन के मुकाबले फीस और रहने का खर्च मिडिल ईस्ट में काफी नियंत्रित रहता है। वहीं, कई शैक्षणिक प्रतिष्ठान होस्ट फैकल्टी के साथ शानदार छात्रावास सुविधाएं भी देते हैं। इसके अलावा, स्थानीय सरकारों द्वारा दी जा रही आकर्षक छात्रवृत्ति योजनाएं भारतीय छात्रों के बजट पर अतिरिक्त दबाव को कम करती हैं।
शैक्षणिक गुणवत्ता के मामले में भी मिडिल ईस्ट तेजी से अपनी पहचान बना रहा है। यहां की टॉप-रैंकिंग विश्वविद्यालयों ने इंजीनियरिंग, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और टेक्नोलॉजी के अलावा ऊर्जा अनुसंधान और स्वास्थ्य विज्ञान क्षेत्रों में खासा निवेश किया है। लैब और रिसर्च फंडिंग के अच्छे विकल्प के साथ, भारतीय छात्र यहां अपडेटेड कोर्स और इंटर्नशिप के जरिये व्यावहारिक अनुभव भी प्राप्त कर रहे हैं।
संस्कृतिक रूप से भी मिडिल ईस्ट भारतीय छात्रों के लिए ज्यादा अनुकूल माना जा रहा है। भूगोलिक निकटता, सहज वीजा नियम और भारतीय समुदाय की बढ़ती संख्या ने नए वातावरण में जल्दी घुलमिलने में मदद की है। खाड़ी क्षेत्रों में करियर के अवसरों की चर्चा भी प्रमुख कारण है, क्योंकि कई मल्टीनेशनल कंपनियां और तेल–गैस उद्योग इसी क्षेत्र में विस्तार कर रहे हैं।
निजी तौर पर, यह बदलाव संकेत देता है कि वैश्विक शिक्षा की परिभाषा अब सीमाओं से परे जा चुकी है। मिडिल ईस्ट न केवल पारंपरिक महान शक्तियों के विकल्प के रूप में उभरा है, बल्कि अनुभव और शोध में नए आयाम खोल रहा है। यदि भारतीय छात्र अपनी पसंद, बजट और करियर योजना के अनुरूप सही विश्वविद्यालय चुनें, तो मिडिल ईस्ट उनके लिए सुनहरा विकल्प साबित हो सकता है।

