परीक्षा तालमेल की जंग: डीयू ऑड सेमेस्टर शेड्यूल विवाद

परीक्षा तालमेल की जंग: डीयू ऑड सेमेस्टर शेड्यूल विवाद

दिल्ली विश्वविद्यालय ने हाल ही में अपना ऑड सेमेस्टर परीक्षा का संभावित शेड्यूल जारी किया है, जिसमें परीक्षाएँ 10 दिसंबर 2025 से 30 जनवरी 2026 के बीच आयोजित की जाएंगी। परंतु इस प्रारूपित डेट-शीट में विभिन्न पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं के बीच ओवरलैप की स्थितियाँ उभर कर आई हैं। खासकर एनसीडब्ल्यूईबी और एसओएल के डिजिटल व फेस-टू-फेस मोड दोनों में परीक्षा तिथियों का टकराव कई छात्रों में चिंता पैदा कर रहा है।

शिक्षक संघ और शैक्षणिक प्रतिनिधियों ने इस संभावित शेड्यूल का कड़ा विरोध जताया है। उनका तर्क है कि एक साथ अनेक परीक्षाएँ होने के चलते छात्रों पर शैक्षणिक दबाव बढ़ेगा और वे समुचित तैयारी नहीं कर पाएंगे। साथ ही, विभिन्न संकायों के बीच तालमेल न होने से अधूरे पाठ्यक्रम के कारण विवादित परिस्थितियाँ बन सकती हैं। इस विरोध प्रदर्शन ने प्रशासन के सामने तालमेल प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

छात्रों की दृष्टि से देखें तो एक ही दिन में दो या तीन परीक्षाएँ होने से उनकी रणनीति अव्यवस्थित हो सकती है। एनसीडब्ल्यूईबी व एसओएल के माध्यम से पढ़ने वाले विद्यार्थियों को तो दिन भर स्क्रीन के सामने बैठे-बैठे अभ्यास करने का समय भी नहीं मिलेगा। लगातार परीक्षा की चिंता मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकती है, जिससे चारों ओर तनाव का माहौल बन जाता है। यही शैक्षणिक दबाव वास्तव में शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।

मेरी ओर से यह सुझाव होगा कि परीक्षा नियोजन से पहले सभी विभागों, शिक्षक संघों एवं छात्र प्रतिनिधियों के साथ त्रिपक्षीय संवाद किया जाए। आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए शेड्यूल में स्वचालित टकराव जाँच प्रणाली लागू की जा सकती है। साथ ही, कुछ महत्वपूर्ण विषयों के लिए वैकल्पिक परीक्षा तिथियाँ या बफर पीरियड रखने से ओवरलैप की समस्या काफी हद तक सुलझाई जा सकती है। इस तरह की पारदर्शिता और सहयोग से ही किसी भी विश्वविद्यालयी व्यवस्था में विश्वसनीयता बढ़ती है।

निष्कर्षतः, परीक्षा शेड्यूल बनाना सिर्फ तारीखों का खेल नहीं है बल्कि छात्रों और शिक्षकों की सामूहिक जरूरतों को समझने की जिम्मेदारी भी है। समय सारिणी में तालमेल और साझेदारी की भावना के बिना पारदर्शिता अधूरी रहती है। इसलिए आवश्यक है कि दिल्ली विश्वविद्यालय एक समन्वित प्रक्रिया अपनाकर साझा समाधान निकाले, ताकि शैक्षणिक गुणवत्ता और मानसिक संतुलन दोनों को सहेजा जा सके।

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