H-1B वीजा पर महंगाई का झटका: कौन भरेगा नई फीस और किन्हें मिली राहत

H-1B वीजा पर महंगाई का झटका: कौन भरेगा नई फीस और किन्हें मिली राहत

विदेशी प्रतिभा के सपनों का द्वार ह-1बी वीजा अक्सर सबसे भरोसेमंद रास्ता माना जाता रहा है। तकनीकी कंपनियों से लेकर अनुसंधान संस्थानों तक, इस वीजा ने लाखों वर्कर्स को अमेरिका में अवसरों का दरवाजा खोला। लेकिन अब अमेरिका ने एक झटके में इस सिस्टम को थोड़ा महंगा कर दिया है: एक महीने बाद से कई नई फीस लागू हो जाएंगी।

नए शुल्कों की मुख्य रूपरेखा में शामिल है 500 डॉलर का फ्रॉड-रोकथाम शुल्क, और इस पर 1,500 से 2,500 डॉलर तक का एडवांस्ड ट्रेनिंग चार्ज। खास बात यह कि जिन नियोक्ताओं के यहां कर्मचारियों का 50% से ज्यादा हिस्सा वीजा पर ही काम करता हो, उन पर अतिरिक्त 4,000 डॉलर तक का कटोती शुल्क लगेगा। ये बदलाव इंटरसर्‍ट यूएस वर्कफोर्स प्रोटेक्शन एक्ट के अंतर्गत किए जा रहे हैं, ताकि अवैध भर्ती और धोखाधड़ी पर लगाम लग सके।

अभी सवाल उठता है कि आखिर इन नए खर्चों को कौन झेलेगा? आधिकारिक निर्देशों के अनुसार, मुख्य रूप से नियोक्ता ही ये फीस भरेंगे, लेकिन असल चुनौत‍ी तब दिखेगी जब छोटी कंपनियां या स्टार्टअप्स अपनी कटौती से बचने के लिए इन बोझ को वर्कर्स पर पास कर सकती हैं। दूसरी ओर, अकादमिक संस्थान, नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन और सरकारी एजेंसियां इन अतिरिक्त शुल्कों से छूट पा रही हैं, जिससे शोधकर्ताओं और शैक्षणिक एक्सचेंज प्रोग्राम्स को राहत मिल सकती है।

मेरी नजर में इस कदम का असर भारतीय छात्रों और तकनीकी पेशेवरों पर खास रहेगा। एक तरफ, बड़ी टेक कंपनियां खर्च उठाने की स्थिति में हैं, वहीं मझोले और नए स्थापित होने वाले संस्थान रिक्रूटमेंट में सावधानी बरतेंगे। इससे H-1B कैप के तहत आवेदन की संख्या में अस्थायी गिरावट आ सकती है। साथ ही, कुछ वर्कर्स पहले ही ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में आगे बढ़ने की सोचने लगेंगे, ताकि फीस-भुगतान के बोझ से बचा जा सके।

निष्कर्षतः, अगले एक महीने में H-1B वीजा का परिदृश्य बदलने वाला है। अमेरिकी प्रशासन का इरादा बैरियर बढ़ाकर घरेलू लेबर को प्राथमिकता देना है, जबकि विदेशी टैलेंट पर अतिरिक्त लागत लगाकर उनकी संख्या नियंत्रित करना चाहता है। यदि आप H-1B वीजा के लिए सोच रहे हैं, तो तैयार रहिए—अपनी एप्लीकेशन जल्दी फाइल करें, संभावित खर्चों का बजट तय करें, और वैकल्पिक वीजा मार्गों पर भी नजर रखें। इस बदलाव के बीच भी अवसरों का द्वार पूरी तरह बंद नहीं होगा, बस रणनीति समझदारी से बनानी होगी।

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