न्यूजीलैंड ने विश्वस्तरीय शिक्षा के साथ-साथ छात्रों के जीवनयापन को आसान बनाने के लिए हाल ही में पार्ट-टाइम वर्क आवर्स में महत्वपूर्ण संशोधन किया है। अब विदेशी छात्र पढ़ाई के दौरान अधिक घंटे काम कर सकेंगे, जिससे उनकी आमदनी पहले से बेहतर होगी। यह कदम विशेष रूप से भारतीय स्टूडेंट्स के लिए राहत भरा साबित होगा, जो पढ़ाई और खर्चों के संतुलन में अक्सर चुनौतियों का सामना करते हैं।
सरकार के नए दिशा-निर्देशों के तहत अब सत्र चलने के दौरान 20 की बजाय 25 घंटे तक काम की अनुमति मिलेगी, जबकि अवकाश के समय पूरी तरह से फुल-टाइम शिफ्ट में लगे रहने का भी मौका मिलेगा। इससे छात्र अपनी पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट-टाइम जॉब के जरिये रेंट, भोजन और अन्य दैनिक खर्चों को बेहतर तरीके से मैनेज कर पाएंगे।
इस सुधार का सीधा लाभ यह होगा कि भारतीय परिवारों पर आर्थिक बोझ कम होगा और छात्र मानसिक तनाव से बच सकेंगे। साथ ही, मौजूदा एजुकेशनल चार्ज और जीवन यापन की लागत में संतुलन बनाकर छात्र अपनी अकादमिक परफॉरमेंस पर भी फोकस कर पाएंगे।
हालांकि, इस नई व्यवस्था का लाभ उठाने के लिए समय प्रबंधन बहुत जरूरी है। मेरी सलाह है कि छात्र पहले शैक्षणिक प्राथमिकताओं को तय करें और उसके बाद उसी समय में सही जॉब चुनें, जो उनकी स्किल्स और रूटीन से मैच करे। साथ ही, वीजा नियमों और कार्यदाताओं से संबंधित कानूनी पहलुओं को ध्यान से समझना भी अनिवार्य है।
निरंतर परिवर्तनशील एजुकेशन और इमिग्रेशन नीतियों के बीच यह नया नियम भारतीय स्टूडेंट्स के लिए स्वागत योग्य कदम है। अच्छे प्लानिंग और जिम्मेदार व्यवहार से वे न सिर्फ अपनी पढ़ाई में उत्कृष्टता हासिल कर सकते हैं, बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर भी अग्रसर हो सकते हैं।

