25 नवंबर 2025 को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस (Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas 2025) एवं गुरु तेग बहादुर जयंती (Guru Tegh Bahadur Jayanti) की याद में दिल्ली और उत्तर प्रदेश में स्कूल बंद (delhi school closed, uttar pradesh government) रहने का निर्णय लिया गया है। विद्यार्थियों और शिक्षकों को इतिहास के पन्नों से जुड़ी एक महत्वपूर्ण प्राप्ति पर चिंतन करने का अवसर मिलेगा, बिलकुल वैसे ही जैसे गुरु नानक जयंती पर भी सरकारी अवकाश रहता है (is guru nanak jayanti a government holiday?)। क्या 25 नवंबर को अवकाश रहेगा? अधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, छात्र और अभिभावक इस सार्वजनिक अवकाश का लाभ ले सकते हैं। इसी तरह उत्तराखंड में यह छुट्टी एक दिन पहले यानी 24 नवंबर को घोषित हुई है।
हरियाणा में हालांकि इस वर्ष 25 नवंबर को स्कूल बंदी (haryana school closed) घोषित नहीं की गई है, इसलिए वहां शिक्षण-प्रशिक्षण नियमित रूप से जारी रहेगा। यह निर्णय राज्यों की सांस्कृतिक व ऐतिहासिक प्राथमिकताओं को दर्शाता है, जिससे स्थानीय सामाजिक सरोकारों के अनुसार छुट्टियों की योजना बनती है। उत्तराखंड को छोड़कर ज्यादातर प्रदेशों में एक ही दिन शहीदी दिवस के अवसर पर अवकाश रहेगा।
गुरु तेग बहादुर साहिब सिख संप्रदाय के नौवें गुरु थे, जिन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता (religious freedom) की रक्षा के लिए स्वयं को बलिदान कर दिया। उनकी शहादत (martyrdom anniversary) उस युग का प्रतीक है जब व्यक्तिगत आस्था और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए महात्माओं ने आहुति दी। यह दिन हमें सिख गुरु की शिक्षाओं को आत्मसात करने और समाज में एकता बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
छात्रों और अभिभावकों के दृष्टिकोण से यह स्कूल हॉलिडे (school holiday tomorrow, school holiday on 25 november) छुट्टियों में परिवार मिलकर लाल सलाम के उस बलिदान को याद कर सकते हैं। कई विद्यालयों में शैक्षिक गतिविधियों के बजाय ऑनलाइन क्विज और चर्चा का आयोजन किया जाता है, जिससे विद्यार्थी शहीद गुरु के जीवन और संदेश को बेहतर तरीके से समझ सकें। सार्वजनिक अवकाश मिलना सामाजिक-ऐतिहासिक शिक्षा का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है।
समग्र रूप से, गुरु तेग बहादुर की शहादत को याद करते हुए घोषित यह अवकाश हमें धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकार की अहमियत पर पुनर्विचार करने का मौका देता है। यह छुट्टी सिर्फ पढ़ाई से विराम नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज को धैर्य, सहनशीलता और बलिदान की सीख देती है। भविष्य में भी ऐसी पहलें हमें सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और नई पीढ़ी को प्रेरित करने में सहायक होंगी। आइए, 25 नवंबर को हम सभी इस महान सिख गुरु के आदर्शों का अनुसरण करें और अपने समाज को एकजुट बनाएं।

