हाल में जारी एशियाई विश्वविद्यालय रैंकिंग में सात भारतीय संस्थानों की जगह शीर्ष सौ में दर्ज होना हमारे उच्च शिक्षा तंत्र के लिए गौरव का विषय है। यह सूची इस बार लंदन स्थित रैंकिंग संगठन द्वारा प्रकाशित की गई, जिसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली, मुंबई, मद्रास, कानपुर तथा खड़गपुर के साथ ही भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु व दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपना नाम दर्ज कराया।
देश के तकनीकी शिक्षण संस्थानों ने विश्व मानकों को चुनौती देते हुए लगातार अपनी साख मजबूत की है। इन संस्थानों ने न केवल पाठ्यक्रमों में आधुनिकता लाने पर ध्यान दिया है, बल्कि शोध कार्यों की गुणवत्ता और प्रकाशित शोधपत्रों की संख्या में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी दिखाई है। दिल्ली विश्वविद्यालय की युवा प्रतिभाओं ने भी सामाजिक विज्ञान और मानविकी के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं।
रैंकिंग में सुधार से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत में शोध क्षमता चरम पर पहुंच रही है। पिछले वर्ष की तुलना में कई विश्वविद्यालयों ने अपनी रैंक में उछाल दर्ज किया है, जबकि कुछ ने अपनी स्थिति बनाए रखी है। शोध परियोजनाओं में अंतरराष्ट्रीय सहयोग, उद्योग के साथ साझेदारी और डिजिटल शिक्षा के प्रयोग ने इन संस्थानों को प्रतिस्पर्धी बनाया है।
हालांकि एशियाई बाजार में प्रतिस्पर्धा तीव्र है और मूल्यांकन के मानदंड समय के साथ बदलते रहते हैं, फिर भी भारतीय विश्वविद्यालयों ने अपनी मजबूती कायम रखी है। यह प्रवृत्ति दर्शाती है कि देश के शिक्षण संस्थान वैश्विक चुनौतियों का सामना करने की क्षमता रखते हैं और निरंतर सुधार की प्रगति में अग्रणी बने हुए हैं।
भावी перспективा पर नजर डालें तो हमें उच्च शिक्षा में और निवेश करने, संकायों के प्रशिक्षण तथा सुविधाओं को और उन्नत करने पर विशेष ध्यान देना होगा। इसी के साथ छात्र-शिक्षक सहयोग, नवाचार को बढ़ावा और अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ों को सुदृढ़ करके हम वैश्विक मंच पर और ऊंचे मुकाम हासिल कर सकते हैं। यह उपलब्धि हमारी शिक्षा नीति और राष्ट्र निर्माण के दृष्टिकोण को और आत्मविश्वास प्रदान करती है।

