मध्य प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा इस बार विभिन्न कारणों से सुर्खियों में है। राज्य भर में 40 दिन तक चलने वाली इस परीक्षा को ईएसबी द्वारा 16 जिलों में संचालित किया जा रहा है, लेकिन केंद्रों के आवंटन ने अभ्यर्थियों के बीच असंतोष की लहर पैदा कर दी है। कई उम्मीदवारों को उनकी प्राथमिकता से सैकड़ों किलोमीटर दूर परीक्षा हॉल भेजा गया, जिससे तैयारी और यात्रा दोनों ही प्रभावित हुए हैं।
अभ्यर्थी शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें नजदीकी शहर या जिला नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के दूर-दराज इलाकों में पहुंचना पड़ रहा है। कुछ ने बताया कि उन्हें सुबह अंधेरे और लम्बी सड़क यात्रा तय करने के बाद ही सेंटर पहुंचे, जबकि तैयारी की थकान भी सिर चढ़कर बोल रही थी। सोशल मीडिया पर हैशटैग के साथ बगावती संदेशों की बाढ़ आ गई और कई माता-पिता ने भी इस अनियमितता पर सवाल उठाए।
इस पूरे माहौल का सबसे बड़ा नकारात्मक असर उम्मीदवारों के मनोबल और प्रदर्शन पर हो सकता है। लंबी दूरी तय करने में समय और पैसा दोनों खर्च होते हैं, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के छात्रों को ज्यादा परेशानी हो रही है। तकनीकी दृष्टि से भी कई स्थानों पर इंटरनेट कनेक्शन कमजोर होने की वजह से एडमिट कार्ड डाउनलोड और गाइडलाइन्स समझने में विलंब हो रहा है।
अगर नेतृत्व स्तर पर इस समस्या को गंभीरता से लिया जाए तो प्रत्याशी अनुभव को बेहतर बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, और अधिक शहरों में अस्थायी केंद्र खोलना, ऑनलाइन प्रॉक्टरिंग विकल्प पर काम करना या आवंटन में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए मोबाइल ऐप लाना लाभदायक रहेगा। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन को निर्देश देना चाहिए कि वे आवागमन की सुविधा के लिए बस सुविधाएं या राहत शिविर मुहैया कराएं।
निष्कर्षतः, पुलिस भर्ती प्रक्रिया का उद्देश्य अच्छी प्रतिभा को सामने लाना है, लेकिन अनावश्यक यात्रा-बाधाएं इस लक्ष्य को धुंधला कर रही हैं। शिक्षा विभाग और ईएसबी को जल्द समाधान निकालकर अभ्यर्थियों का भरोसा कायम करना चाहिए। उम्मीद है कि इस हंगामे के बाद परीक्षा केंद्र आवंटन में सुधार होगा और भविष्य में कोई भी उम्मीदवार अपनी मेहनत का सही प्रतिफल पा सकेगा।

